Pramila singh

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लेखनी कविता -28-Oct-2023

दैनिक प्रतियोगिता हेतु - वरदान 


वरदान भी कभी कभी, श्राप बन जाता है l
अगर बुद्धि ना हो, समझने की पास l


विज्ञान था, मानवता के कल्याण के लिए l
पर आज उसके हो गए, भयंकर परिणाम l


मनुष्य उलझा हुआ है, आपस में आज l
कौन बड़ा है, कौन है छोटा l


जीवन से बढ़कर, प्रश्न हुआ l
महत्वपूर्ण यह आज l


देश लड़ रहे, लोग लड़ रहे l
ये कैसी तरक्की हुई, भगवान !


मृत्यु का, तांडव है चलता l
जल रहा, सारा संसार l


जहर भी,  बन जाता अमृत l
जो सही , मात्रा का हो ज्ञान l


अज्ञानी मनुज, क्या जाने ?
सुई- तलवार का, अपना अपना है स्थान l


वरदान था, जो विज्ञान l
वही बना, आज अभिशाप l


हथियारों की, होड़ लगी है l
अस्तित्व है, मनुष्य का खतरे में आज l


अहंकार की, इस टक्कर में l
सस्ती है, आज जान l


क्या समझ पाएगा कोई, इस पागलपन को l
या सुन्दर पृथ्वी बन जाएगी, एक दिन श्मशान l


अब भी समय है, संभल जा ए मुर्ख इंसान l
जब धरा ही नहीं रहेगी, कहाँ करेगा तू राज l


लौट आ! वापिस, शांति की ओर l
भूल मत तू , गीता का ज्ञान l


मिट जायेगा तू , समय रहते l
ले सुधार भूल, अपनी नादान l


तुझ से पहले, कितने आए कितने गए l
कुछ अंदाजा भी है तुझे, ओ मूढ़ इंसान l


मानव है, मानव बनकर रह l
समझ ना, खुद को भगवान l


कीमत जो आज, तू चुका रहा l
वो कर्मों का तेरे है, परिणाम l


आज का किया, भी आगे आएगा l
कीमत चुकाएगी , तेरी ही संतान l


#दैनिक प्रतियोगिता k

#प्रमिला सिंह 


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3 Comments

madhura

01-Nov-2023 04:07 PM

Awesome post

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 12:50 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

31-Oct-2023 07:46 PM

Nice 👌

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